मेरे उन सपनों का कोई मतलब तो रहा होगा

कैटेगिरी- मेरी डायरी कुछ लोग कहते हैं कि सपने ऐसी किताब हैं जिन्हें नींद के दौरान पढ़ा जाता है। यह किताब पहले से लिखी हुई और तैयार होती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इसे हम पूरी पढ़ लें। ज्यादातर ऐसी किताबें अधूरी ही रहती हैं। मनोविज्ञान, धर्मग्रंथ और कहानियां अपने नजरिए से सपनों का मतलब बताते हैं। अक्सर हम बचपन से ही सपने देखते रहते हैं। इनमें से कुछ यादगार बन जाते हैं तो कुछ अगले दिन चाय के दौरान भी याद नहीं आते। मैं नहीं जानता कि सपने क्यों आते हैं, और उनका कोई मतलब होता भी है या नहीं। मुझे बहुत कम सपने आते हैं लेकिन तीन सपने ऐसे हैं जो मैंने कई बार देखे हैं। मैं उन्हें पांच साल की उम्र से ही देखता आ रहा हूं। इस बात का जिक्र करना चाहूंगा कि मेरे सभी सपने सच नहीं होते। ईश्वर न करे कि हर व्यक्ति का हर सपना सच हो, क्योंकि अगर ऐसा होता तो दुनिया में भारी बवाल हो जाता। मगर मैंने कई सपनों को सच होते देखा है। जब वे हकीकत में तब्दील हुए तो किसी साफ दिन की रोशनी की तरह लगे। एक बार मेरे गांव के श्मशान घाट में कोई निर्माण कार्य चल रहा था। मैं यूं ही उसे देखने के इरादे