काशी के चंदन में मदीने की वो खुशबू
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
वो मुट्ठी भर उम्मीदें
वो गहरे गम के साए।
वो छितरी धूप सुनहरी
और लंबी-लंबी राहें।
लब पर नाम हो रब का
जब सफर खत्म हो जाए।
तेरी मिट्टी पाक मदीने
तेरा कण-कण पावन काशी।
जन्नत को मैं क्या चाहूं
बस नाम तुम्हारा कह दूं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
मुहब्बत के हैं मरकज
अमन का आशियाना।
गंगा तू नदी नहीं है
तुमसे रिश्ता बहुत पुराना।
हर डुबकी में तेरी
कायनात नजर जो आए।
मेरे दिल से तुम भी पूछो
मेरी रूह बसी है तुझमें।
मेरे कदम चलें नेकी पर
हमसाया बनकर चल दूं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
हो गईं मुरादें पूरी
राही को मिला ठिकाना।
उम्मीदें जगीं नवेली
इबादत का एक बहाना।
मेरा हर दिन ईद-दिवाली
हर लम्हा खुशी लुटाऊं।
मंदिर में खुदा मिले तो
मस्जिद में रोज मैं जाऊं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
दिन बीते शहर मदीना
और सांझ पड़ी है काशी।
सच हो गया खाब पुराना
मेरा दिल खुश भारतवासी।
मेरी नजर जिधर भी देखे
मैं तेरे दर्शन चाहूं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
- राजीव शर्मा, कोलसिया -
तारीखः 5 अक्टूबर 2015
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मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
वो गहरे गम के साए।
वो छितरी धूप सुनहरी
और लंबी-लंबी राहें।
लब पर नाम हो रब का
जब सफर खत्म हो जाए।
तेरी मिट्टी पाक मदीने
तेरा कण-कण पावन काशी।
जन्नत को मैं क्या चाहूं
बस नाम तुम्हारा कह दूं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
मुहब्बत के हैं मरकज
अमन का आशियाना।
गंगा तू नदी नहीं है
तुमसे रिश्ता बहुत पुराना।
हर डुबकी में तेरी
कायनात नजर जो आए।
मेरे दिल से तुम भी पूछो
मेरी रूह बसी है तुझमें।
मेरे कदम चलें नेकी पर
हमसाया बनकर चल दूं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
हो गईं मुरादें पूरी
राही को मिला ठिकाना।
उम्मीदें जगीं नवेली
इबादत का एक बहाना।
मेरा हर दिन ईद-दिवाली
हर लम्हा खुशी लुटाऊं।
मंदिर में खुदा मिले तो
मस्जिद में रोज मैं जाऊं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
दिन बीते शहर मदीना
और सांझ पड़ी है काशी।
सच हो गया खाब पुराना
मेरा दिल खुश भारतवासी।
मेरी नजर जिधर भी देखे
मैं तेरे दर्शन चाहूं।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
- राजीव शर्मा, कोलसिया -
तारीखः 5 अक्टूबर 2015
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